सहकारी समितियों में ताला, यूरिया के लिए किसान परेशान

के० एस० टी०, कानपुर देहात। किसानों को फसलों में छिड़काव के लिए खाद की जरूरत है, लेकिन उनको अभी कुछ दिन का इंतजार करना होगा। खाद की उपलब्धता न होने से उन्हें भटकना पड़ रहा और अधिकांश साधन सहकारी समितियों में ताला लटका पड़ा है। किसान निजी दुकानदारों के यहां से महंगे में खाद खरीद रहे हैं। इन दिनों किसानों के खेतों में धान और मक्का की फसलें खड़ी हैं, जिसमें यूरिया खाद डाली जानी है।

मैथा ब्लॉक में किसानों को खाद की सरकारी सप्लाई उपलब्ध कराए जाने के लिए 10 साधन सहकारी समितियां संचालित है। इस वर्ष यूरिया खाद ना आने के कारण किसानों को भटकना पड़ रहा है। मूसानगर में गजनेर रोड पर इकलौती पीसीएफ द्वारा संचालित खाद बिक्री केंद्र संचालित है। वहां तैनात कर्मचारी की मनमानी चरम पर है। वह दुकान कब खोलें न खोलें यह उनकी मर्जी पर निर्भर करता है।

सरकार ने शनिवार रविवार दो दिवसीय लॉकडाउन को खाद बीज की दुकानों से मुक्त रखने का आदेश निर्गत कर दिया है, लेकिन इस आदेश को पूर्णतया नजरअंदाज कर शनिवार को पीसीएफ की दुकान पर ताला लटका रहा। इसके अलावा यहां पर खाद है या नहीं यह किसानों को नहीं पता। गजनेर के यूपी एग्रो में खाद मौजूद है जहां से किसानों को खाद मिल जा रही है। बाकी समितियों में खाद नहीं आ सकी है।

सिकंदरा की मुबारकपुर साधन सहकारी समिति, जमुआं में गोपालपुर समिति में भी यही हाल है। विभाग लॉकडाउन व प्लांट बंद रहने को किल्लत का कारण बताते हैं। उपनिदेशक कृषि विनोद यादव ने बताया कि उम्मीद है कि तीन चार दिन में खाद की रैक आ जाए। इसके बाद किसानों को परेशान नहीं होना पड़ेगा।

इंसेट

15,717 मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत, जनपद में 15,717 मीट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता किसानों को है, लेकिन वितरण अभी 9,567 मीट्रिक टन ही हो सका है। इसी वजह से यह समस्या है और लोग परेशान हैं।

बढ़ेगी फसल की लागत

रूरा के किसान रामसजीवन, मुरली, शिवली के रामअवतार, अजीत व पप्पू बताते हैं कि खाद नहीं मिल रही तो मजबूरी में महंगे दाम पर लेकर फसल में खाद डालते हैं। अब इससे फसल की लागत बढ़ जाएगी।

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