गोरखपुर में अधिकारी पल्ला झाड़ते रहे और रेेलवे की जमीन पर बस गई अवैध बस्ती
12 Sep
के० एस० टी०,गोरखपुर।गोरखपुर में रेलवे सुरक्षा बल ने गोरखपुर में भले ही जमीन पर अवैध बस्ती नहीं बसने दी। लेकिन उनके दफ्तर के सामने ही झुग्गी झोपड़ियां स्थापित हो गईं। दफ्तर और अवैध बस्ती के बीच सिर्फ एक सड़क का फासला है।
यह जानते हुए भी कि बस्ती से निकलने वाले लोगों का ठिकाना स्टेशन और ट्रेनें ही हैं। इसके बाद भी उन्होंने झोपड़ियों को हटाने की कोई पहल नहीं की। यही नहीं जिला प्रशासन और नगर निगम भी मूक दर्शक बना रहा।
झोपड़ियां तो रहने का सिर्फ बहाना, बस्ती में रहने वाले लोगों का रेलवे परिसर और ट्रेनें ही हैं ठिकाना
अब रेलवे स्टेशन के सामने स्थापित बस्ती वर्षों पुरानी है। धीरे-धीरे लोग आते गए और खाली भूमि पर झोपड़ी डालते गए। रेलवे प्रशासन पल्ला झाड़ता रहा कि झोपड़ियां उनकी भूमि में नहीं हैं। वह रेलवे की बाउंड्रीवाल से बाहर हैं। यह सही है कि झोपड़ियां रेलवे परिसर से बाहर हैं और.
उनसे ट्रेनों का संचालन भी प्रभावित नहीं हो रहा। लेकिन स्टेशन परिसर और यार्ड का माहौल जरूर प्रभावित होता है। झोपड़ियां तो केवल दिखावे के लिए हैं। झोपड़ी डालने वाले लोग तो 24 घंटे रेलवे परिसर में ही रहते हैं। उनकी रोजी-रोटी रेलवे से ही चलती है। उनकी उपस्थिति से चोरी, पाकेटमारी व दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
चिन्हित स्थलों पर ही अभियान चलाती है आरपीएफ की टीम
रेलवे सुरक्षा बल लखनऊ मंडल के सीनियर कमांडेंट अमित प्रकाश मिश्रा बताते हैं कि अतिक्रमण के खिलाफ प्रक्रिया के तहत अभियान चलाया जाता है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की टीम चयनित स्थलों पर ही अभियान चलाती है। रेलवे स्टेशन परिसर और रेल लाइन के किनारे रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण की सूचना इंजीनियरिंग विभाग से मिलती है।
निरीक्षण के दौरान संबंधित इंजीनियर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का स्थल चिन्हित करते हैं। उनकी निशानदेही पर रेलवे सुरक्षा बल की टीम संयुक्त अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाती है। इसके अलावा रेलवे स्टेशन परिसर और ट्रेनों में अनधिकृत लोगों के खिलाफ नियमित अभियान चलता रहता है।
रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ की बाउंड्री के सीमांकन के लिए बाउंड्री पीलर्स लगाए जाते हैं। जिनका निरीक्षण समय- समय पर किया जाता है। निरीक्षण के दौरान अगर कहीं कोई अतिक्रमण देखने में आता है तो आरपीएफ एवं इंजीनियरिंग विभाग द्वारा संयुक्त अभियान चलाकर हटाया जाता है।