यमुना में आशियाना बनाने लगीं मछलियां

के० एस० टी०, दिल्ली संवाददाता। यमुना में अब विलुप्त होती डॉलफिन, गोल्डन महसीर, घड़ियाल अपना आशियाना बनाने लगे हैं। जरूरत है तो अब विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने की। प्राकृतिक स्थलों को जोड़ने और उनको फिर से सरंक्षित करने से यमुना में समुचित प्रवाह को बनाया जा सकता है। इतना ही नहीं भू-जल व जल संसाधान प्रबंधन भी इससे किया जा सकता है।

यह बातें यमुना बॉयोडायवर्सिटी पार्क में विश्व आद्रभूमि दिवस के मौके पर जुटे प्रोफेसर, शोधकर्ता, शिक्षाविद, इंजीनियरों ने कहीं। डीयू के छात्रों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम में यमुना बॉयोडायवर्सिट पार्क के इंचार्ज डॉ. फैयाज ए खुदसर ने समारोह के मुख्य अतिथि डीडीए के प्रिंसिपल कमिश्नर राजीव कुमार तिवारी का स्वागत किया।

कहा कि जीवन की गुणवता में सुधार के बिना आर्थिक विकास का कोई मूल्य नहीं है। आद्रभूमि स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने और स्थानीय मौसम के पैटर्न को नियमित करने के साथ ही प्रदूषण के प्रभाव को भी कम करने में भूमिका निभा सकते है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सीआर बाबू ने नम भूमियों के जीर्णोद्धार के तीन उद्देश्य साझा कि।

कहा कि जागरूक समूह का निर्माण जो नदियों तऔर नमभूमियों में मलबा न गिरने दे, दूसरा दुरुपयोगित नम भूमियों के विकास व सरंक्षण में पंचायत और ग्राम सभाओं को सम्मिलित करना होगा। उन्होंने नालों से निकलने वाले गंदे पानी के शुद्धिकरण के लिए विकसित नई तकनीक जिसे कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड्स भी कहा जाता है को.

शोध के छात्रों से साझा किया। कहा कि इस तकनीक से नीला हौज व साउथ दिल्ली बॉयोडयवर्सिटी पार्क में अपना जा रहा है। कोलकाता प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी के डॉ. आदित्य सरकार ने कहा कि नदी के पारिस्थितिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह के महत्व पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि जल संरक्षण पर पारंपरिक ज्ञान को भी शामिल करना चाहिए और स्थानीय लोगों की मदद लेनी चाहिए। डॉ. असगर नवाब ने कहा की यमुना नदी के कुछ इलाकों में आज विलुप्त होती प्रजाति के जीव-जंतु वापस आने लगे है। प्रो. राधे श्याम शर्मा ने लोगों की निवेश योजनाओं और जीवन बीमा को नम भूमियों की सेवाओं से जोड़कर बताया।

उन्होंने लोगों को प्रकृति की कमी के विकार से बचाने के लिए वेटलैंड थेरेपी कार्यक्रम आयोजित करने पर बल दिया। मुख्य वक्ता राजीव कुमार तिवारी ने नदी के समुचित प्रवाह को बनाए रखने के लिए भूजल और जल संसाधन प्रबंधन के संरक्षण देने पर जोर दिया। इस तरह के पार्क शहर में पारिस्थिकीय स्थिरता व संतुलन के लिए आवश्यक बताया। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *