दुनियाभर में प्रसूति केंद्रों पर कोरोना को हराया जा रहा है। जी-जान से लगे डॉक्टर मां व बच्चों को बचाने में जुटे हैं। क्योंकि, संक्रमित होने पर गर्भवती के साथ बच्चे का जीवन भी जोखिम में रहता है। न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन अस्पताल के मैटरनिटी वार्ड की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। वहां मार्च से अब तक आईं कई महिलाएं गंभीर बीमार थीं लेकिन डॉक्टरों ने जोखिम से निपटते हुए 200 बच्चों को सफलतापूर्वक जन्म दिलाया। ऐसी कई महिलाएं सामने आईं, जो 7-8 माह तक गर्भवती थीं व उनके फेफड़े को काफी नुकसान पहुंच चुका था। डॉक्टरों के सामने चुनौती थी कि अगर बच्चे को तय तिथि से पूर्व जन्म दिलाया तो उसे सांस लेने में तकलीफ समेत कई बीमारियां हो सकती हैं। सीजेरियन डिलीवरी से मां पर भी असर की चिंता उन्हें सता रही थी। लिहाजा, डॉक्टरों ने एकमत होकर बच्चों को दुनिया में लाना ही जरूरी समझा। इस प्रकार उन्होंने ऐसी कई जिंदगियां बचाकर और बच्चों को जन्म दिलाकर इस भयग्रस्त माहौल में लोगों को उम्मीद जगाई है।
भयग्रस्त माहौल में जगाई उम्मीद…
महामारी के दौर में अस्पताल आने वाली हरेक गर्भवती के माथे पर शिकन होती है। स्वस्थ महिलाएं भी घबराई होती हैं। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें इस बात से संतुष्टि है कि एक भी गर्भवती व उसके बच्चे की जान नहीं गई है।
स्टाफ की बदली आदतें…
नर्स और डॉक्टर अब पीपीई, एन-95 मास्क, फेस शील्ड और हैंड ग्लव्ज में नजर आते हैं। कुछ नर्सों का कहना है कि इससे पहले उन्हें कभी संक्रमित गर्भवतियों की इलाज का प्रशिक्षण नहीं मिला लेकिन अब हमें ज्यादा सावधान रहना पड़ रहा है।
दिल्ली-केरल में भी स्वस्थ बच्चे
भारत में दिल्ली, तमिलनाडु एवं केरल में भी कोरोना के कहर के बीच गर्भवतियों ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया। एम्स दिल्ली में डॉक्टर संक्रमित थी, लेकिन बच्चा स्वस्थ्य पैदा हुआ।
ब्रेस्टफीडिंग से संक्रमण नहीं फैलता
ब्रुकलिन अस्पताल माता-बच्चे को साथ रख रहे हैं। डॉक्टरों ने लोगों का भ्रम दूर किया कि स्तनपान से संक्रमण नहीं फैलता है। हालांकि, माताओं को सुरक्षा उपायों की जानकारी देते हैं।
गर्भवती भी अन्य मरीजों की तरह
डॉक्टरों का कहना है, माताओं में भी अन्य संक्रमितों की तरह ही लक्षण मिल रहे हैं। अधिकांश महिलाओं ने सांस में तकलीफ और बुखार की शिकायत की थी।