के० एस० टी० (बिल्हौर/कानपुर) संवाददाता।मतदान की घड़ी निकट आने के साथ ही सपा भाजपा दोनों दल अपने कुनबे को बचाने में लगे हैं। भाजपा जहां आराम से जीत का दावा कर रही है‚ वहीं सपा की उम्मीद सेंधमारी पर टिकी है। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर स्वप्निल वरुण और राजू दिवाकर के बीच सीधी टक्कर में भाजपा जहां बसपा और निर्दलीय सदस्यों को समेटकर मजबूत होने का दावा कर रही है‚
वहीं सपा अपने सदस्यों को एकजुट बनाये रखने में जुटी है। चुनाव की शुरुआत में भाजपा में टिकट को लेकर रस्साकसी चली। राधन से सदस्य राजा दिवाकर ने विधायक सांगा के वरदहस्त में लखनऊ में दावेदारी की तो शुरुआती दौर में ही पार्टी ने मैनेजमेंट कर ड़ाला। सीधे मुख्यमंत्री योगी ने दोनों से अलग अलग वार्ता कर उन्हें पार्टी के साथ रहने को राजी कर लिया। मंत्री रहते कोरोना से.
निधन के बाद कमल रानी की बेटी को घाटमपुर से उपचुनाव में टिकट न दे पाने पर पार्टी ने अध्यक्ष पद पर स्वप्निल को किसी भी कीमत पर बैठाने का मन बना लिया था। इसी लिए कैबिनेट मंत्री सतीश महाना‚ पार्टी संगठन के वरिष्ठ विजय बहादुर पाठक को सीधे जिम्मेदारी सौंपी थी। ग्रामीण जिलाध्यक्ष कृष्ण मुरारी शुक्ल अपनी टीम सुबोध कटियार‚ मोहित शुक्ल‚ शुभम बाजपेयी के साथ एक-एक सदस्य के.
घर जाकर उन्हें अपने पक्ष में करने मे लगे रहे। बसपा हाई कमान के ग्रीन सिग्नल के बाद बसपा के सदस्य भी निश्चिंत हो गये और भाजपा को उनको अपने साथ करना आसान हो गया। उधर सपा के सदस्य ज्यादा होने के चलते मुकाबला कांटे का दिखाई दे रहा है। पार्टी में राजू को पूर्व विधायक मुनीन्द्र शुक्ल‚ राघवेंद्र यादव‚ हरिओम पांड़ेय की तिकड़ी ही लड़ा रही है। पार्टी को उम्मीद है कि.
भविष्य सपा का देखते हुए उन्हें कई निर्दलीय सपोर्ट करेंगे। दोनों खेमे एक दूसरे में सेंध लगाने और अपने को बचाने में जुटे हैं। भाजपा अपना किला बचा पायेगी अथवा सपा सेंधमारी कर भाजपा के सामने चुनौती पेश कर सकेगी यह तो मतदान के बाद ही पता लग सकेगा।