के० एस० टी०,आजमगढ़ संवाददाता। नगरीय और ग्रामीण इलाकों को मिलाकर जिले में इस समय 42 गोवंश आश्रय स्थल हैं। बावजूद इसके शहर से लेकर गांव तक बेसहारा पशुओं से लोग परेशान हैं। इसे देखते हुए शासन के आदेश पर जिला प्रशासन ने शेष 247 न्याय पंचायत और 13 में शेष दो नगर निकायों में एक-एक अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल बनाने का निर्णय लिया है।
जिले में कुल 278 न्याय पंचायतें और 13 नगर निकाय हैं। इसमें 31 न्याय पंचायत और 11 नगर निकायों में गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना हो चुकी है। जिसमें इस समय 4,257 पशु संरक्षित किए गए हैं। बेसहारा पशुओं की बेतहाशा बढ़ती संख्या को देखते हुए शेष न्याय पंचायतों और नगर निकायों में गोवंश आश्रय स्थल के लिए सभी संबंधित एसडीएम से भूमि चिह्नित कर रिपोर्ट मांगी गई है।
पशु आश्रय स्थलों का निर्माण ग्राम पंचायतों की तरफ से कराया जाएगा। मनरेगा समेत अन्य निधियों से बजट खर्च होगा। इनकी देखरेख का जिम्मा भी ग्राम पंचायतों के पास ही रहेगा। माना जा रहा है कि इन गोवंश आश्रय स्थलों के बनने के बाद बेसहारा पशु लोगों के लिए मुसीबत नहीं बनेंगे। फसल को लेकर चितित किसानों को राहत मिलेगी। पशुओं की वजह से होने वाले हादसे रुकेंगे।
एक एकड़ में स्थापित होगा गोवंश आश्रय स्थल-: न्याय पंचायतों में बनने वाले एक अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल के लिए कम से कम एक एकड़ भूमि की आवश्यकता है। पशुओं के रखने की क्षमता 100 तक की होगी। पशुओं के लिए टिनशेड, चारे के लिए नांद और पीने के पानी का इंतजाम किया जाएगा। पशुओं की देखरेख के लिए कर्मचारियों की तैनाती होगी। इलाज की जिम्मेदारी पशुपालन विभाग के चिकित्सक संभालेंगे।
भूसे का बोझ कम करने लिए हरे चारे पर जोर-: गो-आश्रय स्थलों में संरक्षित पशुओं के लिए भूसा एकत्र करने की समस्या से निजात के लिए हरे चारे की विशेष व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। अभी तक जिले के दो-तीन पशु आश्रय स्थलों के लिए ही हरे चारे की व्यवस्था है। भूसे की निर्भरता समाप्त होने और हरे चारे की उपलब्धता होने से पशुओं का स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा।