◆बड़ा गणेश मंदिर में सुबह श्रृंगार और आरती के बाद देर रात तक चलता रहा भंडारा
◆मराठा समाज ने दामोदर कटरे में स्थापित की प्रथम देव की प्रतिमा
◆पांच दिवसीय गणेशोत्सव के पहले दिन हर तरफ श्रद्धालुओं में दिखा उत्साह
के० एस० टी०,आजमगढ़ संवाददाता।एक दंत दयावंत चार भुजा धारी, मस्तक सिदूर सोहे मूस की सवारी’ की ध्वनि के साथ गूंज रहा था गणपति बप्पा मोरया अगली बरस तू जल्दी आ का उद्घोष।मौका था गणेशोत्सव का। गणेश चतुर्थी पर मंदिर से लेकर मराठा समाज के घरों तक में उत्साह का माहौल दिखा। बड़ा गणेश मंदिर में सुबह नौ बजे श्रृंगार और आरती के बाद शुरू भंडारा रात 10 बजे तक चलता रहा।
सुबह से लगी लाइन टूटने का नाम नहीं ले रही थी। प्रसाद के नाम पर कचौड़ी, सब्जी के साथ चावल और दाल की भी व्यवस्था की गई थी।मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया था, तो परिसर में खिलौना और गुब्बारा बेचने वालों ने भी दुकान लगा रखी थी।दूसरी ओर मराठा समाज की ओर से आयोजित सामूहिक पूजा समारोह की लिखित अनुमति तो नहीं मिली लेकिन मौखिक अनुमति के बाद दामोदर कटरा में.
प्रतिमा की स्थापना की गई। मराठा समाज के लोगों ने अपना कारोबार बंद कर पूजा समारोह में भागीदारी की।वहीं घरों में भी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू की। आसपास के लोग भी उसमें शामिल हुए तो उत्सव महोत्सव में तब्दील हो गया। बता दें कि महाराष्ट्र में इस पर्व को काफी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन यहां पर रहने वाले मराठी समाज के लोग भी इस पर्व को नहीं भूलते।
पंडाल के अलावा विभिन्न मोहल्लों में रहने वाले मराठी के घरों में भी प्रतिमा स्थापना की जाती है। घरों में भी पांच दिन तक पूजन-अर्चन किया जाता है। पंडाल व घरों में विद्वानों द्वारा भगवान गणेश की महिमा का पाठ किया जाता है, जिसे सुनने के लिए आसपास के गैर मराठी भी पहुंचते हैं।