आजमगढ़ में तेज सर्द हवा से बढ़ी गलन, ठिठुरा जनमानस

के० एस० टी०,आजमगढ़ संवाददाता। फरवरी महीने में भी मौसम का मिजाज ठीक नहीं हो सका। पछुआ हवा के साथ गलन इतनी बढ़ गई कि हर कोई कांपता नजर आया। सुबह कोहरा इतना घना कि वाहनों का रास्ता ही मानो रुक गया। हेडलाइट जलाने के बाद भी वाहन रेंगते रहे। दोपहिया वाहन से शहर के बाहर जाने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी। दोपहर में हल्की सी धूप तो निकली, लेकिन पछुआ हवा के झोंके ने.

उसकी गर्मी को बेअसर कर दिया। राहत के लिए अलाव सहारा बना, तो किराए के मकानों में रहने वालों ने बिजली के बिल की चिता छोड़ हीटर जलाकर कमरे को किए। स्टोर पानी छूने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी, क्योंकि वह बर्फ सरीखा लग रहा था।दिहाड़ी मजदूरी की तलाश में चौक, सिधारी और अतलस पोखरा पर खड़े मजदूर चादर में लिपटकर हवा के बीच कांपते रहे। गलन इस कदर कि जहां कहीं.

अलाव दिख रहा था वहां लोगों के कदम ठहर जा रहे थे।कोहरा के कारण शहर से बाहर की यात्रा मुसीबत बनी रही। अधिकतम तापमान 19 और न्यूनतम 08 डिग्री सेल्सियस रहा। दो से आठ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली पछुआ हवा ने भी लोगों को परेशान किया। मौसम की बेरुखी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जहां कहीं अलाव जल रहा है वहां इंसानों के साथ बेजुबान भी पहुंच जा रहे हैं।

तीन दिनों से मौसम में उतार-चढ़ाव के बीच रविवार की सुबह भीषण शीतलहर से आम जनमानस ठिठुरने को मजबूर हो गया। सुबह तेज पछुआ हवा के बीच लग रहा था कि आसमान से फुहारा गिर रहा हो। सड़के तक भींग गई थीं। गुरुवार की रात में हल्की बारिश के बाद शनिवार की रात में भी कही-कहीं तेज हवा के बीच बारिश और ओलावृष्टि हुई। इसके चलते भी ठंड में इजाफा हुआ।

सुबह टहलने वाले कम ही लोग रजाई से निकलने की हिम्मत जुटा पाए। नतीजा सड़कें वीरान नजर आ रही थीं। आवश्यक कार्य से घरों से निकलने वाले लोग स्वेटर और कंबल के बाद भी कांपते नजर आए। अन्नदाता बढ़ी हुई ठंड गेंहू की फसल के लिए लाभकारी मान रहे हैं, जबकि आलू सहित दलहनी और तिलहनी फसलों के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है।

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