कोरोना से ठहर गया सारा सैलून इंडस्ट्री का काम

◆ सैलून इंडस्ट्री का काम मुसीबतों के घेरे में

◆ वेडिंग सीजन का काम चौपट हो गया                             

सैलून इंडस्ट्री के लिए समय सीजन काफी मायने रखता है। खासकर वेडिंग सीजन होने के चलते ब्यूटी पार्लर्स में अप्रैल और मई में खाफी रौनक देखने को मिलती है। लेकिन कोरोना वायरस ने सैलून इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी है। सलून संचालकों की माने तो लॉक डाउन खुलने के बाद भी इंडस्ट्री में बेहद चुनौतियां देखने को मिलेंगी। हालांकि पार्लर्स खुद को इसके लिए तैयार कर रहे हैं। लेकिन फिर भी वे लॉक डाउन और उसके बाद होने वाले नुकसान का अनुमान तक नहीं लगा पा रहे हैं।

करोड़ों का नुकसान
सैलून एंटरप्रिन्योर दीपाली चुघ बताती है कि ये समय हमारे लिए बेहद मुश्किल भरा है। प्रदेश भर में करोड़ों का नुकसान होगा। सिर्फ लॉक डाउन ही नहीं, बल्कि उसके बाद भी हमें चैलेंज फेस करने पड़ेंगे। नए सिरे से काम करने की हमारी तैयारी पूरी है। लॉक डाउन की स्थिति में गूमिंग फैसिलिटी नहीं मिलने के चलते काफी लोग डिपरेशन का शिकार हो रहे हैं, उनके लिए कुछ ऑनलाइन काउंसिलिंग की जा रही हैं।

सीजन पर चोट
ब्यूटी एक्सपर्ट जस्सी छाबड़ा कहती हैं कि अप्रैल और मई में वेडिंग और प्री-वेडिंग ग्रूमिंग के कई ऑर्डर थे, जो सब कैसल हो गए हैं। ऐसे में समर वेडिंग सीजन तो पूरा चौपट हो ही गया है। अब आगे का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि ये शादियां कब तक होगी और क्या स्थितियां आएगी। स्थिति यह है कि छोटे-छोटे सैलून को तो सरवाइव करना ही मुश्किल है। हालांकि हमने लॉक डाउन के बाद की तैयारियां करना शुरू कर दी है, स्टाफ को नये सिरे से काम करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं।

हमें चाहिए सपोर्ट
ब्यूटी एक्सपर्ट रितु देसवाल बताती हैं कि लॉक डाउन के चलते बिल्कुल भी इंकम नहीं हुई है। सरकार को हमें सपोर्ट करना चाहिये। कम से कम रेट में छूट दिलवानी चाहिये। शहर में कई जगहों पर सेंटर्स है, इनका रेट और स्टाफ की सैलरी, लॉक डाउन में किसी चुनौती से कम नहीं है। फिर भी हम सबको साथ लेकर चल रहे है, स्टाफ का खाना और रहना सभी का इंतजाम कर रहे हैं। लेकिन यदि यही स्थिति रही तो आने वाला टाइम बेहद मुश्किल होने वाला है।

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