Skip to contentके० एस० टी०,गाजीपुर संवाददाता। नमामि गंगे योजना के तहत गंगा को निर्मल व स्वच्छ बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अति महत्वाकांक्षी योजना जिले में कागजों पर दौड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद जिले के जिम्मेदार तीन अधिकारियों के खिलाफ सरकार से अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई है। लहुरी काशी के नाम से विख्यात जिले में तीन नगरीय क्षेत्रों के 34 नालों का 40 एमएलडी गंदा पानी बिना शोधित किए हुए गंगा में गिर रहा है। एक एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) में 10 हजार लीटर पानी आता है। यह अभी दो साल तक किसी भी कीमत पर रुकने वाला नहीं है।
एसटीपी प्लांट निर्माणाधीन, दो साल लगेंगे-: दरअसल सिर्फ गाजीपुर में गंगा में गिरने वाले 26 एमएलडी पानी से कम क्षमता 21 एमएलडी का एसटीपी प्लांट बन रहा है, जो दो साल में तैयार होगा। जमानियां व सैदपुर का गंदा पानी रोकने के लिए कोई कार्ययोजना ही नहीं बनी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में जिले में बड़े पैमाने पर नगरीय नालों का गंदा पानी गंगा में गिरता हुआ मिला है। जनपद के नगर पालिका गाजीपुर के ईओ लालचंद, ईओ सैदपुर आशुतोष त्रिपाठी व ईओ जमानियां अब्दुल सकूर को जिम्मेदार मानते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है। वैसे जिले के नालों का गंदा पानी वर्ष 2024 तक गिरेगा।
152 करोड़ की लागत से बन रहा एसटीपी प्लांट-: तीन निकायों में से सिर्फ एक गाजीपुर में 152 करोड़ की लागत से 21 एमएलडी की क्षमता का एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) बन रहा है, लेकिन अभी वह दो साल बाद तैयार होगा। मुख्यालय के ददरीघाट व कलक्टर घाट सहित 23 नालों के 26 एमएलडी पानी गिर रहा है, जबकि एसटीपी मात्र 21 एमएलडी का ही बन रहा है। नगर पालिका नाले गंदा पानी गाजीपुर 23 26 सैदपुर 8 7 जमानियां 3 6 (गंदा पानी एमएलडी में। एक एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) में 10 हजार लीटर पानी आता है।)