आर्थिक मंदी से कैसे उबरे!

छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी नये दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी की तरह गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर हर उमंगे जवां है। सत्तापक्ष हो या विपक्ष सब एक के बाद एक करके नई इबारत लिखने में जुटा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अगले कदम पर सबकी नजरें जमी हुई है कि उनका अगला कदम क्या होगा? हालांकि आर्थिक मंदी के इस दौर में आयात-निर्यात के क्षेत्र में जिस तरह की मंदी आई है। उससे उबरने के लिए प्रधानमंत्री पूरी तरह से प्रियासरत है कि आखिर वह किस तरह से मंदी से उबरे जिसमें सफल होने के लिए वे व उनके मुख्य सलाहकार बुरी तरह से छटपटा रहे हैं कि इस मंदी को कैसे दूर किया जाय। जिसका हाल क्या है? आर्थिक मंदी तभी दूर होगी जब देश में ज्यादा से ज्यादा निवेश होगा? जब निवेश होगा तभी प्रगति के रास्ते खुलेंगे। ऐसी सूरत में पूरी तरह आयात व निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि अभी तक सफल नहीं मिली है। किन्तु यह आकांक्षाएं आज भी लोगो के जेहन में अच्छी तरह है कि मोदी है तो सब कुछ मुमकिन है कि तरह इसके भी हल खोजे जा रहे है। जहां तक प्रधानमंत्री मोदी की बात है तो उन्होंने अपने कार्यकालो में अप्रत्याशित व आश्चर्य चकित करने वाले फैसले लिए। जिसमें पूर्व की सरकार में नोट बंदी जीरो फ़ीसदी में बड़ी संख्या में देश भर में एकाउंट, आधार कार्ड, मनी ट्रांसफर के आसान तरीके जी.एस.टी. लागू करके आश्चर्य चकित कर दिया। उसके बाद भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को अत्यधिक धन रखने के मामले में गिरफ्तारियां बड़े दिग्गज विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्यवाहियां जैसे तमाम फार्मूले हैं। इसके अलावा विदेश नीति के लिए विदेशों की ऐतिहासिक यात्राएं प्रमुख हैं। जिसमें शक्तिमान देशों के साथ-साथ छोटे देशो से भी उसी तरह की मैत्रीपूर्ण मुलाकात से उन्होंने प्रभावित किया। दूसरे कार्यकाल में तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कश्मीर से धारा 370 हटाकर तमाम विरोधी को नजरदांज करते हुए अप्रत्याशित फैसला कर डाला। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले से उत्तर प्रदेश सरकार का अयोध्या मंदिर बनवाने का रास्ता भी साफ हो गया। इसी दौरान उन्होंने नागरिकता संशोधन पर देश के तमाम राज्यों में उमड़े आक्रोश को भी झेलकर इस फैसले पर जन सहमति बनाने के पूरे देश में इस अध्यादेश को समझने- समझाने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलवाया। ऐसी सूरत में कही न कही लगा रहा है कि आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे देश को वह आज नही तो कल उबार ही लेंगे।

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