भारत-चीन के बीच 14000 फीट ऊंचाई पर तनाव

के. एस. टी,नई दिल्ली संवाददाता। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के चलते सैन्य तनाव अचानक से बढ़ गया है। बीते सोमवार की रात पूर्वी लद्दाख के गलवां घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए तो चीन के 47 सैनिक या तो मारे गए या गंभीर रूप से घायल हो गए। हालांकि, अब दोनों देशों के सैनिक पीछे हट चुके हैं। 14 हजार फीट की ऊंचाई पर यह संघर्ष और तनाव की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी 10 खास बातें…

1. सोमवार रात को चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प के बाद भारतीय शहीदों में सेना का एक अधिकारी और 19 जवान शामिल हैं। बताया जा रहा है कि सैन्य अधिकारी गलवां में एक बटालियन का कमांडिंग ऑफिसर था। पिछली बार ऐसा कुछ करीब 45 साल पहले साल 1975 में अरुणाचल के तुंग ला में हुआ था। उस समय असम के चार राइफल्स के चार जवान शहीद हुए थे।

2. दोनों तरफ के जवानों के बीच 5-6 मई को पैंगॉन्ग त्सो में हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद उत्तरी सिक्किम में भी इसी तरह की घटना घटी थी। यही वजह है कि बीते करीब डेढ़ महीने में दोनों ओर के सैनिकों के बीच ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं और हालात बिगड़े हैं।

3. गलवां घाटी में झड़प की यह ताजा घटना तब सामने हुई है, जब संघर्ष से बचने और विवाद सुलझाने के लिए वार्ता प्रक्रिया जारी है। यह घटना आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवने के उस बयान के एक दिन बाद हुई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि दोनों देशों ने गलवां घाटी में “चरणबद्ध तरीके से” पीछे हटना शुरू कर दिया है। उन्होंने दोनों देशों के बीच हुई वार्ता को सफल बताया था।

4. झड़प में कोई गोली नहीं चली। इसके बजाय पत्थरों और डंडों को इस्तेमाल किया गया। सूत्रों के अनुसार चीन के सैनिकों ने पथराव किया, जिससे भारतीय सैनिक चोटिल होकर शहीद हो गए। हालांकि, इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

5. दोनों देशों की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो, गलवां घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध की स्थिति है। पैंगोंग त्सो सहित कई स्थानों पर चीनी सैनिकों की भारी संख्या में जमावड़े ने भारत को भी सीमा पर सैन्यबल एकत्र करना पड़ा है। दरअसल, चीन पैंगोंग त्सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में यह सीमा विवाद तब शुरू हुआ जब भारतीय पक्ष गश्त के लिए महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण कर रहा है। एक अन्य कारण गलवां घाटी में दरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी सड़क को जोड़ने वाली एक अन्य सड़क का निर्माण भी है।

6. पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद तब शुरू हुआ जब चीनी सैनिकों ने चार स्थानों पर घुसपैठ की और भारतीय सीमा में काफी अंदर तक आ गए। मई की शुरू में चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारी वाहन, टैंक, तोपखाने और 6,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया।

7. लद्दाख में चल रहा गतिरोध डेपसांग और चुमार जैसे पहले से चले आ रहे गतिरोध से अलग है। यह गश्त के दौरान शुरू हुआ संघर्ष नहीं है। यह चीन की ओर से भारत के कई स्थानों पर एक साथ दबाव बनाने के लिए एक सुविचारित कदम माना जा रहा है।

8. चीन ने इन स्थानों पर सैन्य उपकरण जुटाए हैं, जिनमें एलएसी के किनारे तोपखाने और यहां तक कि टैंक भी शामिल हैं। पीएलए ने एलएसी के पास अपने ठिकानों में तोपखाना, बंदूकों, पैदल सेना, वाहन और भारी सैन्य उपकरणों के साथ अपनी रणनीति को मजबूत किया है।

9. इस बीच, भारत ने भी इन स्थानों पर इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया है। भारत की सेना ने चीनी सैन्य बल की संख्या के मुताबिक अपने सैनिकों और उपकरणों को तैनात किया है। साथ ही भारत ने चीन के विरोध के बाद भी सीमा पर अपनी परियोजनाओं को नहीं रोका। 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर भारत-चीन के बीच गई जगहों पर सीमा को लेकर विवाद है। इसका एक प्रमुख कारण अरुणाचल प्रदेश भी है, जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है।

10. हालांकि उच्च-स्तरीय प्रयासों के बावजूद स्थिति सामान्य होना और गतिरोध समाप्त होना अभी संभव नहीं लग रहा है। संभावना है कि यह गतिरोध लंबे समय तक जारी रह सकता है, क्योंकि चीन पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने वास्तविकता से उलट दावा करते हुए एक चेतावनी देते हुए कहा था कि भारतीय सैनिकों ने झड़पें शुरू की थीं क्योंकि वे चीनी सीमा पार कर गए थे और चीनी सैनिकों पर हमले किए थे।

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