इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने से चाइना से आयात मैटेरियल पर लगेगा अंकुश

के. एस. टी,कानपुर संवाददाता। लद्दाख की गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद चाइना से आयात और निर्यात कारोबार से जुड़े़ एक्सपोर्टरों की नींद हराम हो गयी है‚ क्योंकि जाजमऊ‚ उन्नाव और बंथर के एक्सपोर्टरों ने पिछले वर्ष 1,036.28 एवं वित्तीय वर्ष में 394.34 करोड़़ रुपये का लेदर गुड्स निर्यात किया है। एक्सपोर्टरों का कहना है कि 15 साल से चाइना ने सेंथेटिक चप्पल और जूते के कारोबार में महारथ हासिल की है।

यदि चाइना से आयात किया जाने वाले मैटेरियल पर इम्पोर्ट डयूटी बढ़ा दी जाए या इस पर प्रतिबंध लगे तो चपड़े़ का कारोबार पहले की तरह फिर शुरू किया जा सकता है। जाजमऊ‚ उन्नाव व बंथर में तीस से अधिक एक्सपोर्टर चप्पल और जूते के करोबार से जुड़े़ हैं। यहां की इंड़स्ट्रीज में प्रतिदिन हजारों जोड़़ी चप्पल और जूते तैयार किये जाते हैं। इन इंड्रस्ट्रीज में 30 से 40 फीसद मैटेरियल चाइना से आयात होता है।

अन्य देशों की तुलना में चाइना का सबसे सस्ता मैटेरियल होने की वजह से इन इंड़स्ट्रीज में चाइना ने अपनी धाक जमा ली है। इन इड़स्ट्रीज से प्रतिवर्ष हजारों करोड़़ के चप्पल व जूतों की सप्लाई की जाती है।15 साल पहले कानपुर शहर के चमड़े़ के जूते और चप्पल का करोबार मशहूर हुआ करता था। चप्पल और जूते के करोबार से लाखों लोग जुड़े़ थे। चप्पल और जूते के हजारों कार खाने चल रहे थे।

जाजमऊ‚ बंथर और उन्नाव में इंड़स्ट्रीज लगने के बाद चमड़े़ के जूते–चप्पल की जगह पर सेंथेटिक उत्पाद बाजार में आना शुरू हुआ। जिससे छोटे कारखाने बंदी की कगार पर आ खड़े़ हुए। एक्सपोर्टरों का कहना है कि सेंथेटिक के चप्पल और जूते की आज के समय सैकड़़ों वैराइटी उपलब्ध हो चुकी है। चाइना ने १५ साल के भीतर चप्पल और जूते के कारोबार में महारत हासिल की है।

चाइना की महारात तोड़ने के लिए सरकार को इंपोर्ट डयूटी बढ़ानी होगी या चाइना से आने वाले मैटेरियल पर प्रतिबंध लगाना होगा। काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के रीजनल चेयरमैन जावेद इकबाल का कहना है कि दो दिन से पूरे भारत में लोग चाइना से जुड़े़ सामानों को बहिष्कार करने के लिए धरना–प्रदर्शन कर रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि हम लोग चाहें तो चमड़े़ के उत्पाद को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके लिये सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। चाइना के उत्पादों के प्रतिबंध के साथ ही हजारों करोड़़ का प्रतिवर्ष आयात किया जाने वाले मैटेरियल पर भी प्रतिबंध लगाना जरूरी है।

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