के. एस. टी,कानपुर संवाददाता। पांच हजार की आबादी है‚ लेकिन पानी के लिए सिर्फ एक–दो हैंड़पम्प ही चालू हालत में हैं। पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए यहां के लोग रोजाना 10 रुपये देकर पानी खरीदने को मजबूर हैं। यह पानी भी आसानी से नहीं मिलता है। घंटों लाइन लगाने के बाद पानी नसीब हो पाता है।
यह हाल है बेगमपुरवा सफेद कॉलोनी इलाके का। यहां के लोग पिछले कई साल से पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। बेगमपुरवा सफेद कॉलोनी इलाके में पानी के लिए त्राहि–त्राहि मची है। यहां पर जलस्तर इतना गिर गया है कि 95 प्रतिशत हैंड़पम्पों ने पानी देना बंद कर दिया है।
एक–दो को छोड़़कर यहां पर लगे सभी हैंड़पम्प अब सिर्फ शोपीस बनकर ही रह गये हैं‚ उनसे एक भी बूंद पानी नहीं आ रहा है। ऐसा नहीं है कि यह हैंड़पम्प पहले पानी नहीं देते थे। ऐसा तीन–चार सालों से हुआ है कि हैंड़पम्पों से पानी आना बंद हो गया है। जब से हैंड़पम्प खराब हुए हैं।
तब से इलाके में पीने वाले पानी की समस्या पैदा हो गई है। कहने को तो इलाके में वाटर लाइन पड़़ी है। सुबह–शाम पानी भी आता है‚ लेकिन यह पानी इतना गंदा होता है कि इसे लोग किसी इस्तेमाल में भी नहीं ला सकते हैं। कपड़े़ व बर्तन धोने पर वह और भी गंदे हो जाते हैं।
ऐसे में यहां के लोगों को अपनी पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए इलाके के दूसरे लोगों से पानी खरीदना पड़़ता है‚ जिनके घरों में सबमर्सिबल पम्प लगे हैं। इसके एवज में यहां के लोग उन्हें 10 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से देते हैं या फिर पूरे महीने का एक साथ हिसाब करते हैं।
इतना ही नहीं‚ इस पानी को पाने के लिए लोगों को लाइन में लगकर इंतजार करना पड़़ता है। पानी लेने वालों की इतनी संख्या होती है कि देर से पहुंचने पर पीछे लाइन में लगकर अपनी बारी आने की राह देखनी पड़़ती है।
क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि हमें घर के दूसरे बजट में कटौती करके महीने में तीन सौ रुपये पानी के लिए निकालना पड़़ता है। इलाके में पानी की किसी प्रकार की सुविधा न होने से हमें मजबूरन पानी खरीदना पड़़ता है।
उन्होंने कहा कि यदि इलाके में दो सरकारी सबमर्सिबल या फिर एक नलकूप लग जाये तो हमारी पानी की जरूरत पूरी हो सकती है और हमें किसी को पैसे देकर पानी भी खरीदना नहीं पड़े़गा। महीने के तीन सौ रुपये की बचत होगी।