जूही कंटेनर डिपो में रखीं मिसाइलें निष्क्रिय की जाएंगी
30 Aug
के० एस० टी०, कानपुर नगर।जूही कंटेनर डिपो में रखीं सात जीवित और 70 मिस फायर मिसाइलों को निष्क्रिय करने के लिए शासन ने 15 सितंबर तक समय दिया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी की ओर से जारी आदेश में जिलाधिकारी को कहा गया है, मिसाइलों को निष्क्रिय करने के लिए कस्टम, सेना व नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) की मदद लें। इससे पूर्व 15 वर्षो से इन मिसाइलों को निष्क्रिय करने के नाम पर फाइल घूमने के अलावा कुछ नहीं हो रहा था।
अचानक शासन की तत्परता के पीछे माना जा रहा है कि बेरुत में तीन हजार टन अमोनियम नाइट्रेट में हुए ब्लास्ट की घटना से सबक लेकर यह कदम उठाया गया है। गोविदपुरी पुल के नीचे घनी आबादी के बीच जूही इनलैंड कंटेनर डिपो (आइसीडी) है। दिल्ली-हावड़ा रूट की राजधानी व अन्य ट्रेनें आइसीडी के साथ गुजर रहे ट्रैक से आती-जाती हैं। जनवरी 2005 में शिकोहाबाद की प्रह्लाद स्टील ने संयुक्त अरब अमीरात(यूएई) से मेटल स्क्रैप आयात किया था। इसे जूही आइसीडी में उतारा गया।
परीक्षण में विस्फोटक की आशंका से बम डिस्पोजल दस्ते से जांच कराई गई। दस्ते ने 18 से 24 जनवरी 2005 तक जब 13 कंटेनर की जांच की तो अधिकारियों के होश उड़ गए। इसमें युद्ध में इस्तेमाल सात जीवित और 70 मिस फायर मिसाइलें थीं। इन्हें जब्त कर लिया गया। बस डिस्पोजल दस्ते ने बताया कि जरा सी चूक से एक भी मिसाइल ब्लास्ट हुई तो बाकी भी उसके साथ ब्लास्ट हो सकती हैं। दस्ते ने सेना की मदद लेने की सलाह दी और सभी को वापस एक कंटेनर में पैक कर दिया।
इसके बाद कई समिति बनीं, फाइल भी लगातार चलती रही, लेकिन हुआ कुछ नहीं। चार अगस्त को बेरुत में विस्फोट के बाद यूपी, उत्तराखंड के सीमा शुल्क आयुक्त वीपी शुक्ला ने 13 अगस्त को अपर मुख्य सचिव को को पत्र लिखा और मामले की गंभीरता को समझाया। घनी आबादी के बीच जीवित मिसाइल होने की जानकारी पर.
अपर मुख्य सचिव ने 19 अगस्त को कानपुर के डीएम को पत्र लिख 15 सितंबर तक इन्हें डिफ्यूज करने के निर्देश दिए। इतने वर्षो की मेहनत रंग लाई है। उम्मीद है कि एक माह के अंदर ये मिसाइलें डिफ्यूज कर यहां से हटा दी जाएंगी।