कोरोना काल में तो रोज-रोज लाटरी निकल रही है झोलाछाप डॉक्टरों की

  मामूली सर्टिफिकेट भी नहीं फिर भी पिछाड़े हैं विशेषक सर्जन डॉक्टरों की प्रक्टिस को

  कल्याणपुर व पनकी थाना क्षेत्र में बड़ा संजाल

  भीड़ का तिलस्म देख गंभीर मरीज भी रुक जाते हैं इन क्लीनिको में


के० एस० टी०,कानपुर नगर। सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों की भरमार को देखते हुए इस समय झोलाछाप डॉक्टरों की प्रक्टिस चल रही है नहीं निकली है बल्कि सुपर-डुपर हिट है। कल्याणपुर व पनकी थाना क्षेत्र में ( साबधान 22 पसेरी ) की कहावत की तरह मामूली बुखार, मलेरिया, डायरिया व अन्य मौसमी बीमारियों मरीजों को इन झोला छापों के यहां ग्लूकोस चढ़ाना अनिवार्य होता है।

भले ही उन्हें ग्लूकोज नुकसान क्यों न कर जाए। यह इनकी बला से बस इन्हें लम्बा चौड़ा बिल वसूलने की ही चिंता होती है। आपको बताते चलें कि कल्याणपुर थाना क्षेत्र के आवास विकास, न्यू शिवली रोड, इन्द्रा नगर, रावतपुर गांव, नमक फैक्ट्री के आस पास झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। इनका तिलस्म भी निम्न व मध्यम वर्गीय परिवारों में सिर चढ़कर बोलता है।

जबकि वही इनके क्लीनको के आगे विशेषज्ञ व एम०एम० बी एस० डिग्री होल्डरो के क्लीनिको में सन्नाटा छाया रहता है। जबकि जिन झोलाछाप डॉक्टरों के पास मामूली बुखार सर्दी जुकाम व अन्य छोटी-मोटी बीमारियों की रटी-रटाई दवाइयां ही उपलब्ध है। इसके अलावा यहां इलेक्शन व ग्लूकोस चढ़ाने की प्रक्रिया भी कम्पाउडरी की ट्रेनिंग के दौरान सीखे होते हैं।

जिसका फायदा इन्हीं मरीजों की पॉकेट से पैसा निकलवाने में मिलता है। मरीज ठीक हुआ तो ठीक है वरन् अपने साठगांठ वाले नर्सिंग होमों में भेजकर मोटा कमीशन यह झोलाछाप शुरु आती दौर में मरीज से 50 से 100 रुपये के भीतर दवा देते थे। जबकि विशेषज्ञ डॉक्टरों की इतनी फीस ही नहीं होती है। ऐसी सूरत में गरीब परिवार मरीज को लेकर झोलाछाप के यहां ही सस्ती दवा के लालच में जाते हैं।

किंतु इन्हें क्या मालूम कि इनका इलाज भविष्य में कितना महंगा व मरीजों की जान जोखिम में डालने वाला हो सकता है। कोरोना काल में इन झोलाछाप के यहां से मरीजों की कतारें टूटने का नाम नहीं ले रही है। भीड़ देख ग्रामीण अंचल के सीरियल मरीज भी इनके तिलिस्म में फंसकर रुक रहे हैं।

जबकि उन्हें क्या मालूम कि इनके पास डॉक्टरी पेशा चलाने का किसी तरह का कोई मामूली सर्टिफिकेट भी नहीं है। सी० एम० ओ० प्रवर्तन दल भी झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाने में बेबस ही नजर आते है।

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