◆ निगरानी कर रहे कैमरे क्या 360 डिग्री कोण पर रिकॉर्डिंग योग्य
◆ अभी दस दिन है नहीं तो रिकॉर्डिंग भी नहीं रहेगी
के० एस० टी०,कानपुर नगर। बालू खनन का कार्य फिर से युद्ध स्तर पर पर्यटन स्थल गंगा बैराज से कुछ ही मीटर दूर से निर्धारित खनन स्थल से शुरु हो चुका है। जिसमें सरकारी मानकों के अनुसार खुदाई स्थल से कुछ ही मीटर तक मुख्य द्वार से लकड़ी के बैरियर तो लगाए गये है। किन्तु निगरानी ठेकेदार के ही मुताबिक हो रहे खनन के कार्य में छेद ही छेद हैं।
सर्वविदित है कि कानपुर शहर का जलस्तर प्रति वर्ष इतने नीचे गिर रहा है कि शोधकर्ता खुद ही परेशान है कि आने वाले वर्षों में शहर में पानी की क्या स्थिति होगी। ऐसी सूरत में खुदाई स्थल के निरीक्षण कर्ता अधिकारियों की आंखों में लगता है कि यहां आते ही ठेकेदार का दिया हुआ काला चश्मा चल जाता है
वरना उन्हें इस स्थल पर कितने-कितने गहरी खाई खुदाई करके कर दी गई हैं। ट्रकों के खोह स्थल पर आवागमन वाले सकरे मार्ग की क्या स्थिति है। उन्हें अवश्य नजर आती हैं। रोजाना कितनी खुदाई व कितने ट्रक भरे जाने के सरकारी आदेश है। भरे कितने जा रहे है। इस मामले में सिर्फ खाना पूर्ति ही होती हैं।
जबकि इसकी जवाबदेही खुद जिलाधिकारी की शासन को होती है। चौंकाने वाली बात यह है कि सोशल मीडिया से जुड़े कुछ तथा कथित लोगों के नाम की धौश बताकर कर ठेकेदार मीडिया को भ्रमित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। पट्टेदार नियमावली 1963 नियम 35 के.
अनुसार पट्टेदार अपने स्वयं के व्यय पर ऐसे सीमा चिन्ह को और खंभे स्थापित करेगा। जिसमें वाहनों के प्रवेश व निकासी पर निगरानी के लिए स्वयं के व्यय पर 360 डिग्री कोण पर दृश्यता रिकॉर्डिंग के योग्य चार सी० सी० टी० वी० कैमरा लगाने सहित चेक पोस्ट गेट पर आर० एफ० आई० डी० स्कैनर भी.
रखा जाना चाहिए था। जो सुचारू रूप से लगाये गये है। क्या वे जिस तरह की नियमावली के तहत लगने थे। वे खनन अधिकारी की मौजूदगी में लगाए गये या नही। बालू खनन होते हुए तकरीबन 20 दिन होने वाले ही किस अधिकारी ने कितनी बार मुआयना किया कि खनन का समय क्या है?
ट्रको की निकासी का समय क्या है। खनन स्थल पर कैमरे लगे हैं कि नहीं? अन्य स्थलों से तो खुदाई कर बालू नहीं खुदाई जा रही है। खनन स्थल पर रोज कितने ट्रकों का आवागमन हो रहा है? उनके निकाले जाने का समय क्या है? आगे बहुत है पाठकों के लिए….. पढ़ना ना भूलें कानपुर स्टार टाइम