शारीरिक और मानसिक दबाव की पीड़ा से गुजर रहे होम आइसोलेट मरीज
21 Apr
के० एस० टी०,कानपुर नगर।COVID-19 Crisis in Kanpur होम आइसोलेट हुए संक्रमितों में अधिकांश की हालत बहुत खराब है। घर में देखभाल होती रहेगी इस सोच के साथ रुके कोरोना संक्रमितों के पास पहले दिन तो कॉल आईं, लेकिन उसके बाद तबीयत ज्यादा खराब होने पर वे क्या करें, कौन से टेस्ट कराएं, इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है।
इस दौरान बहुत से लोग मानसिक रूप से भी परेशान हैं, लेकिन फोन पर ही उनकी सही काउंसिलिंग नहीं हो रही है। डिप्रेशन की यह स्थिति है कि लोग बात करते-करते रो तक पड़ते हैं। हालांकि इसके बाद भी वे होम आइसोलेशन को बेहतर मान रहे हैं। घर पर अच्छा भोजन, अच्छी देखभाल हो सकती है, इस सोच के साथ पिछले वर्ष भी बड़ी संख्या में लोगों ने.
घरों में ही इलाज कराया था और इस बार भी कई हजार रोगी घरों में हैं। पिछले वर्ष कंट्रोल रूम से करीब-करीब रोजाना ही फोन कर उनका हाल पूछा जा रहा था और जानकारी ली जा रही थी, लेकिन इस बार यह क्रम पहले दिन के बाद नहीं हो रहा। घर पर ही रुकने वाले ज्यादातर मरीज यह नहीं समझ पाते कि.
उन्हें कौन सी दवा कैसे लेनी है और उनका रुटीन क्या रहेगा। आसपास रहने वालों के उनसे दूर होने का भी मानसिक दबाव है। अपार्टमेंट में रहने वाले सज्जन बात करते-करते रो पड़े कि उनके अपार्टमेंट के जो लोग उनसे पूछे बिना कोई काम नहीं करते थे, वे अब उनके परिवार से बात तक करना पसंद नहीं करते।
इनकी भी सुनिए:-होम आइसोलेशन में परिवार के साथ रह रहीं शिक्षिका अमृता श्रीवास्तव का कहना है कि जो लोग कोविड के बारे में ठीक से जानते हैं, उन्हें खास परेशानी नहीं है, लेकिन बहुत लोग दवाएं व अन्य चीजों को लेकर भ्रम में हैं। चिकित्सक मरीजों से बात जरूर करें और यह भी बताएं कि उनकी तबीयत बिगड़े तो वे क्या करें। कौन से टेस्ट कराएं। बुखार न उतरते ही मरीज परेशान हो जाते हैं। इनकी काउंसिङ्क्षलग होनी चाहिए।
इनका ये है कहना:-
◆मरीज गाइडलाइन का पालन करें। अपना रुख सकारात्मक बनाए रखें। इससे बीमारी जल्द खत्म होती है। लोग यदि सीधे संपर्क में नहीं आ रहे तो यह उनके लिए अच्छा है, इसमें कोई गलती नहीं है लेकिन लोगों को फोन से जरूर बात करनी चाहिए। इससे मानसिक रूप से मजबूती मिलती है। – डॉ. रोहन, मनोचिकित्सक ◆कंट्रोल रूम में तैनात चिकित्सकों को बता दिया गया है कि जिस मरीज से बात करें, उसे ठीक से दवाएं व अन्य चीजें बताएं। किसी को जल्दबाजी में कुछ न बताएं। – आलोक तिवारी, जिलाधिकारी