कानपुर के दबौली बाजार में लोगों ने बेंच दिया फुटपाथ
22 Nov
के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। गोविंद नगर का दबौली बाजार दक्षिण कानपुर के बड़े बाजारों में शुमार है। इस बाजार में सभी प्रकार के सामान की दुकानें हैं। पक्के दुकानदार और मकान मालिकों ने फुटपाथ बेंच डाले हैं। जिसके चलते ठेलिया और अस्थाई दुकानदारों का यहां भी बोलबाला है। सामान्य दिनों में शाम के वक्त यहां पैदल चलना भी मुश्किल होता है।
कहीं त्योहार के आसपास यहां से गुजरना हो तो दबौली दुर्गा मंदिर से टेंपो स्टैंड के बीच पांच मिनट के सफर में 30 से 35 मिनट का वक्त लगता है। दो साल पहले यहां अतिक्रमण अभियान चला था। उसके बाद से फिर वही पुराने हालात हैं। अपने फायदे के लिए दबौली मुख्यबाजार में रहने वाले मकान मालिकों और स्थाई दुकानदारों ने फुटपाथ भी कब्जाए हैं।
फुटपाथ पर करीब दो सौ दुकानें सजती है। फुटपाथों के चौराहों के हिसाब से अलग-अलग रेट हैं। गुजैनी पीएचसी से लेकर शंभूदयाल स्कूल के बीच फुटपाथ पर प्रति दुकान का रेट दो हजार से चार हजार रुपये महीना है। यहां से एसबीआइ चौराहे के बीच के फुटपाथ का रेट चार हजार से छह हजार रुपये के बीच और एसबीआइ चौराहे से दबौली दुर्गा मंदिर के बीच सबसे अधिक छह हजार से आठ हजार रुपये महीना है।
इन फुटपाथ दुकानदारों से कोई बाहरी वसूली नहीं करता, बल्कि यहां के स्थाई दुकानदार या मकान मालिक ही वसूली करते हैं। फुटपाथ से आने वाला किराया इन लोगों की अतिरिक्त आय का साधन बन चुका है। अगर कोई दुकानदार बल्ब या एलईडी लगाता है तो उसका किराया अलग देना पड़ता है। कुछ फुटपाथ दुकानदार अपनी बैट्री और छोटी एलईडी लाइट लेकर दुकान लगाते हैं। फुटपाथ पर अतिक्रमण होने के चलते यहां पैदल चलना मुश्किल होता है। त्योहारों पर यहां हालात खराब रहते हैं।
सड़क पर रहता वाहनों का अतिक्रमण-: फुटपाथ पर दुकानें सजने के चलते खरीदारी करने वाले लोग सड़क पर ही आड़े तिरछे वाहन खड़ा कर देते हैं। जिससे इस रूट से गुजरने वाले वाहन सवारों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उस पर दबौली टेंपो स्टैंड से रतनलाल नगर को जाने वाले आटो-टेंपो स्थिति को और बिगाड़ देते हैं। यही वजह है कि जाम की स्थिति में पांच के सफर में स्थानीय लोगों को कभी-कभी पौन घंटे तक बर्बाद करने पड़ते हैं।
दो साल ने नहीं चला कोई अभियान-:स्थानीय लोगों ने नाम न छापने शर्त पर बताया कि भले ही यहां पर दुकानदार व अन्य मकान मालिक फुटपाथ की वसूली करते हों, लेकिन इसका एक हिस्सा थाना पुलिस तक पहुंचता है। कई बार जाम व अतिक्रमण के चलते हंगामा होता है तो पुलिस दोषियों पर नहीं बल्कि आम आदमी पर ही सख्ती करके उसकी आवाज दबाने का काम करती है।
बोले जिम्मेदार-:कमिश्नरेट पुलिस और नगर-निगम के संयुक्त प्रवर्तन दल लगातार फुटपाथ खाली कराने को लेकर अभियान चला रहे है। जहां भी प्रमुख बाजारों में अतिक्रमण है। वहां अभियान चलाकर फुटपाथ खाली कराया जाएगा।