हरवंश मोहल में जर्जर मकान की छत ढहने से दिव्यांग की मौत व तीन घायल

के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। हरवंशमोहाल थाना क्षेत्र में करीब सौ वर्ष पुराने जर्जर मकान की पहली मंजिल की आधी छत भरभराकर ढह गई। मलबे की धमक से पहली मंजिल का छज्जा और ग्राउंड फ्लोर का स्लैब क्षतिग्रस्त हो गया। तेज आवाज और धूल के बीच अफरातफरी और चीखपुकार मच गई। स्थानीय लोगों की सूचना पर डीसीपी पूर्वी प्रमोद कुमार सिंह सात थानों का फोर्स, दमकल और एंबुलेंस के साथ घटनास्थल पहुंचे और मलबे में फंसे लोगों को निकालने का काम शुरू किया।

एक घंटे के प्रयासों के बाद मलबे में फंसे तीन लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका, लेकिन पहली मंजिल पर मलबे में दबे दिव्यांग को दो घंटे बाद निकाला जा सका, जिसकी हालत गंभीर है। क्षतिग्रस्त हुआ मकान वक्फ की संपत्ति बताया जा रहा है। घंटाघर चौराहे के पास छह सौ वर्ग गज का करीब सौ साल पुराना मकान है। यह मकान वक्त बोर्ड की संपत्ति है। मकान में ग्राउंड और प्रथम तल बना हुआ है। जिसमें दिलशाद, जावेद, दिव्यांग नफीस, शहंशाह, अजीमा जमाल उर्फ चांदनी और.

अधिवक्ता अशफाक गनी अपने परिवारों के साथ रहते हैं। जावेद की ग्राउंड फ्लोर पर ही कोल्डड्रिंक की दुकान है। रविवार की रात करीब आठ बजे मकान के पहली मंजिल की आधी छत अचानक भरभराकर ढह गई।मलबे की धमक से पहली मंजिल का छज्जा भी भरभराकर ढह गया। मलबे की चपेट में आने से कल्याणपुर आवास विकास निवासी बृजेंद्र, कुलीबाजार निवासी मजहर आलम और हरबंशमोहाल निवासी शहजादे घायल हो गए। जानकारी पर.

डीसीपी पूर्वी प्रमोद कुमार हरवंशमोहाल, कैंट, कलक्टरगंज, कोतवाली, मूलगंज, अनवरगंज, बादशाहीनाका के फोर्स और लाटूश रोड फायर स्टेशन की रेस्क्यू वैन और दो एंबुलेंस के साथ पहुंचे। दमकल जवानों ने रेस्क्यू आपरेशन चलाकर करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद भवन के मलबे में फंसे घायलों को बाहर निकाला। जिसके बाद एंबुलेंस से सभी को पहले केपीएम अस्पताल भेजा गया। जहां सीटी स्कैन की सुविधा न होने के चलते सभी को एलएलआर अस्पताल रेफर किया गया है।

हालांकि सभी की हालत खतरे के बाहर बताई जा रही है। घटना की जानकारी पर मौके पर एडीएम सिटी एडीएम द्वितीय रामानुज सिंह, एसीपी कैंट मृगांक शेखर पाठक, महापौर प्रमिला पांडेय आदि लोग भी पहुंचे। दो घंटे बाद दिव्यांग को निकाला जा सका। गंभीर हालत में उसे एलएलआर अस्पताल भेजा गया है। मलबा हटाने के लिए पुलिस ने बुलडोजर (बैकहोलोडर) मंगाया था। सूचना दिए जाने के दो घंटे बाद बुलडोजर पहुंचा। उससे पहले ही रेस्क्यू टीम ने सीढ़ी और रस्सी आदि की.

मदद से मलबे में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने का काम पूरा कर लिया था। बुलडोजर के देर से पहुंचने से लोगों में नाराजगी थी। लोगों का कहना था कि अगर समय से बुलडोजर पहुंचता तो मलबे को तेजी से हटाकर दबे हुए नसीम को पहले बाहर निकाला जा सकता था।

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